बेटे-बहू के लिए चुनौती बना बुजुर्गों के साथ तालमेल बैठाना

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन भले ही सबसे जरूरी हो, लेकिन इसके चलते घर पर रह रहे बुजुर्ग और बच्चे चिड़चिड़ेपन व तनाव का शिकार हो रहे हैं। बेटे-बहू-पोते-पोतियों के लिए घर के बुजुर्गों के साथ सामंजस्य बैठाना एक चुनौती बन गया है। रोजाना की बंधी-बधाई दिनचर्या में एक स्वस्थ और पढ़ा-लिखा इंसान भी खुद को हालातों के साथ एडजस्ट नहीं कर पा रहा, ऐसे में कैसे बुजुर्गों को वक्त देना और उनके मनोविज्ञान को समझा जा सकता है।
नतीजा, घरों में हर पल किटकिट, तनाव का माहौल बना हुआ है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि पढ़े-लिखे लोग भी मनोवैज्ञानिकों से संपर्क कर बुजुर्गों से सामंजस्य बैठाने के रास्ते तलाश रहे हैं। ऐसे मामले राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए कोविड 19 मिशन मेंटल हेल्थ प्रोग्राम में सामने आ रहे हैं। काउंसलर डॉ. रश्मि सोनी कहती हैं कि हेल्पलाइन पर लोग फोन कर रहे हैं, साथ ही वाट्एसप काउंसलिंग सेशन भी चल रहे हैं। एक काउंसर के पास कम से कम 20-25 मामले आ रहे हैं। यानी कुल 100 मामले हर रोज आ रहे तो इनमें बुजुर्गों के मामले 20-30 फीसदी हैं।


घर में सास हैं, कुछ समझती ही नहीं, क्या करें
राजाजीपुरम निवासी एक जाने-माने कॉलेज में शिक्षिका के पद पर कार्यरत महिला ने फोन कर बताया कि इन दिनों पति और बच्चे घर पर हैं। पति का वर्क फ्रॉम होम चल रहा है, बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। मेरा घर का काम बढ़ गया है, ऐसे में सासू मां हर वक्त चिड़चिड़ाती और टोकती रहती हैं, उनकी वजह से घर में झगड़े हो रहे हैं, क्या करें?


अकेली हूं, तनाव में रहती हूं
गोमतीनगर निवासी सेवानिवृत्त बैंककर्मी एक 70 वर्षीय महिला ने फोन कर कहा कि पति की मृत्यु हो चुकी है, बच्चे बाहर रहते हैं। लॉकडाउन में मेरा तनाव बढ़ रहा है, समझ में नहीं आ रहा है क्या करें, नींद भी नहीं आती है। लगता है अवसाद में हूं।